Health Benefits of Papaya | Why everyone Should Eat Papaya |पपीता क्यों खाना चाहिए?

Health Benefits of Papaya | Why everyone Should Eat Papaya




1.     Papaya Lowers Cholesterol
2.     Papaya is Immunity Booster
3.     Papaya can be used for  Weight Loss
4.     Papaya Helps to control Diabetes
5.     Papaya helps to relieve Arthritis
6.     Papaya Helps Ease Digestion
7.     Papaya can be used to Improves Eyesight
8.     Papaya Prevents Wrinkles and Signs of Ageing
9.     
Cancer Prevention
10.   
Papaya is very beneficial in stone problem.



पपीते के स्वास्थ्य लाभ | पपीता क्यों खाना चाहिए?




1. पपीता कोलेस्ट्रॉल कम करता है

2. पपीता इम्युनिटी बूस्टर है

3. वजन घटाने के लिए पपीते का इस्तेमाल किया जा सकता है

4. पपीता मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है

5. गठिया से राहत दिलाने में मदद करता है पपीता

6. पपीता पाचन को आसान बनाता है

7. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए पपीते का इस्तेमाल किया जा सकता है

8. पपीता झुर्रियों और उम्र बढ़ने के संकेतों को रोकता है

9. कैंसर की रोकथाम

10. पथरी की समस्या में पपीता बहुत फायदेमंद होता है।

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जाने धनिया के सेहत से जुड़े ऐसे फायदे जो आपने पहले नहीं सुने होंगे | शुगर–बीपी की समस्या मे फायदेमंद है धनिया

 


धनिया को कोरिएन्डर या चाइनीज़ पार्सले भी कहते हैं | यह औषधिय गुणों के साथ भारतीय रसोई में मसाले के रूप में प्रयोग होता है | इस के हरे पत्तों को भोजन में स्वाद व सजावट के तौर पर प्रयोग किया जाता है | धनिया एक जड़ी-बूटी के साथ साथ मसाले के रूप मे बहुतायत में प्रयोग होता है|

धनिया में विटामिन ,खनिज,एंटीओक्सीडेंट,फाइबर,बीटा कैरोटीन,एंटि हाइपराग्लाइकेमिल और इंसुलिन डिस्चार्जिंग तत्व होते हैं | धनिया रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है , जड़ी-बूटी के रूप में धनिया के निम्नलिखित प्रयोग हैं :-

(अ)   धनिया दिल की बीमारी होने से बचाता है यह सही कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर बेकार कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे सहायता करता है |

(ब)    धनिया उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है |

(स)    धनिया हड्डियों को ताकत प्रदान करता है |

(द)    धनिया शुगर को नियंत्रण में रखने में सहायक है  |

(ए)    धनिया चमड़ी,आँखों और पाचन से संबन्धित रोगों में सहायक है  |

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धनिया चूर्ण कैसे बनाएँ ?

धनिया के बीज लेकर उन्हें भूनकर पाऊडर बना लें | इस पाऊडर में काला नमक,हींग और काली मिर्च पाऊडर मिलाकर रख लें | यह चूर्ण दिल , चमड़ी,आँखों, हड्डियों और पाचन  से संबन्धित रोगों मे सहायक है |

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सूखे धनिया का पानी कैसे बनाएँ ?

दो चम्मच धनिया एक गिलास पानी मे डालकर सारी रात रखें ।यह पानी कोलेस्ट्रॉल,उच्च रक्तचाप ,दिल और थायराइड की समस्या मे काम आता है |

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हरे धनिया का पानी कैसे बनाएँ?

पहले 500 मी ली पानी लेकर उसे उबाल लें | अब इसमें धनिया पत्ती डालकर इसे लगभग 10 मिनट तक उबाल लें |अब इसमें एक नींबू का रस,जीरा पाऊडर,अदरक डालकर 5 मिनट तक उबालकर छान लें | यह पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों और रोगाणुओं को निकालता है |

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FAQ

Q1.  क्या धनिया की तासीर गर्म होती है ?

Ans: - नहीं ,धनिया की तासीर ठंडी होती है |

Q2.  क्या धनिया मूत्रबर्धक है ?

Ans: - हाँ |

Q3.  धनिया का पानी कितने दिनों तक पीना चाहिए?

Ans: - सेहतमंद व्यक्ति रोज पी सकता है |

Q4. धनिया का पानी पीने से क्या होता है ?

Ans: धनिया का पानी अगर ऊपर बताए अनुसार तैयार किया जाये तो यह दिल,दिमाग,लीवर और गुर्दे के लिए लाभकारी है |

Q5.  धनिया किसे नहीं खाना चाहिए?

Ans: - निम्न रक्तचाप ,कम शूगर और गर्भवती महिला को धनिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए |

 



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How To Identify Mint Plant | पुदीने के पौधे की पहचान कैसे करें

 




पुदीने के पौधे की पहचान कैसे करें | पुदीना के स्वास्थ्य लाभ


सामान्य जानकारी


1. पुदीना भारत की सबसे लोकप्रिय रसोई जड़ी बूटी है।

2. पुदीना का वैज्ञानिक नाम मेंथा स्पिकाटा है।

3. पुदीना पुदीना जड़ी-बूटियों के परिवार से संबंधित है।

4. भारत में पुदीना का उपयोग चटनी, रायता और बिरयानी बनाने के लिए किया जाता है।


पुदीना के पौधे कि पहचान


1. पुदीना का पौधा क्षैतिज रूप से फैला होता है।

2. पुदीना को नम मिट्टी में उगाया जा सकता है।

3. पुदीना में सुगंधित और दांतेदार पत्ते होते हैं।

4. पुदीना में छोटे, बैंगनी, गुलाबी और सफेद फूल होते हैं।

5. पुदीना का रंग चमकीला हरा होता है।

6. अगर इसका स्वाद बहुत तीखा है तो यह पिपरमिंट  हो सकता है और अगर इसका स्वाद हल्का है तो यह पुदीना है।


पुदीना के स्वास्थ्य लाभ


1. पुदीना अपच को रोकने में मदद करता है।

2. सिर दर्द से राहत पाने के लिए पुदीने के रस का प्रयोग किया जा सकता है।

3. पुदीना को स्किन क्लींजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. पुदीना हमारे मौखिक स्वच्छता और दंत स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

5. पुदीना से आम सर्दी का इलाज किया जा सकता है।

6. पुदीना रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है।

7. पुदीना दस्त का इलाज कर सकता है।


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महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी व English में अर्थ | बीमारियाँ दूर कर आपकी उम्र बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र | Mahamrityunjaya Mantra

 महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी व English में अर्थ | बीमारियाँ दूर कर आपकी उम्र बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र



ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥



महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी में अर्थ 


मैं उन भगवान शिव कि पूजा करता हूँ ,जो तीन नेत्रों बाले हैं,जो हमारे जीवन को खुशियों से सुगंधित करने बाले और हमें पुष्टि देने बालेे हैं | भगवान शिव से हमारी प्रार्थना है कि ,जिस प्रकार कक्कड़ी पक कर ही अपनी बेल से अलग होती है उसी प्रकार हम भी संसार रूपी बेल से असमय अलग ना होकर पूरा जीवन जीयें तथा अंत में मोक्ष को प्राप्त हों |




Yoga Poses To Get Rid Of Diseases | वारिसार द्यौति

 Yoga Poses To Get Rid Of Diseases | वारिसार द्यौति



वारिसार द्यौति करने कि प्रक्रिया


1. उकड़ू होकर बैठें |

2. धीरे-धीरे पानी के तीन गिलास पी  जाएँ | 

3. ताड़ायन,बज्रासन,भुजंगासन आदि तीन आयन करें |

4. शौच लगने पर निवृत होकर आएँ |

5. यह प्रकृिया तब तक दोहराएँ जब तक मलद्वार से पानी जैसे का तैसा ना निकलने लगे |


वारिसार द्यौति करते समय सावधानियाँ


1. इसे साल में दो या तीन बार ही करें |

2. वारिसार द्यौति का अभ्यास करने से दो-तीन दिन पहले से हलका भोजन करना शुरू कर दें |

3. वारिसार द्यौति करने से पहले पेट को अच्छी तरह से साफ कर लें |

4. ढीले कपड़े पहनें |

5. गुनगुने जल का प्रयोग करें |

6. जल में नींबू और सेंधा नमक का प्रयोग भी कर सकते हैं |

7. किसी योगगुरू कि देखरेख में ही वारिसार द्यौति कि प्रकृिया को करें |

8. अभ्यास के बाद शरीर को पूर्ण विश्राम देना चाहिए

9. गर्भवती महिलाओं को   वारिसार द्यौति का अभ्यास नहीं करना चाहिए वरना गर्भपात हो सकता है | 

10. वारिसार द्यौति का अभ्यास करने के बाद रसाहार या फलाहार का सेवन अगले 24 घंटे तक करना उचित रहता है|


वारिसार द्यौति के फायदे 


1. शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं |

2. चेहरे पर चमक आती है |

3. शरीर संतुलित होता है |

4. इससे हमारी आहार नली, आंते, पेट की संपूर्ण सफाई हो जाती है।

5. चर्म रोगों में पित्त का शमन होने से अत्यंत शीघ्र लाभदायक साबित होता है |



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Why Red Sandalwood so expenssive | लाल चंदन इतना महंगा क्यों है

 



लाल चंदन इतना महंगा क्यों है | लाल चंदन, उपयोग, लाभ और भी बहुत कुछ

 

वानस्पतिक नाम: पटरोकार्पस सैंटालिनस 

सामान्य नाम: रेड सैंडर्स, रेड सॉन्डर्स, येरा चंदनम, रेड सैंडलवुड, रक्ता चंदना 

पहचान

1. लाल चंदन की कोई सुगंध नहीं होती है। 

2. पेड़ की ऊंचाई 5-8 मीटर है। 

3. लाल चंदन के पत्ते 3-9 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। 

उपयोग

1. लाल चंदन का उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। 

2. संगीत वाद्ययंत्र बनाने के लिए लाल चंदन का उपयोग किया जाता है। 

3. लाल चंदन में ज्वरनाशक और सूजन रोधी गुण होते हैं। 4. पूजा में लाल चंदन का प्रयोग किया जाता है। 

5. लाल चंदन रक्त शोधक है। 

6. लाल चंदन में कैंसर रोधी गुण होते हैं। 

7. लाल चंदन का उपयोग मादक पेय पदार्थों में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में किया जाता है।

 8. लाल चंदन का प्रयोग त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है। 

लाल चंदन इतना महंगा क्यों है 

1. उच्च मांग और कम आपूर्ति के कारण लाल चंदन इतना महंगा है। 

2. पेड़ के हर्टवुड को विकसित होने में लगभग 30 वर्ष लगते हैं। 

3. भारत दुनिया के लाल चंदन का केवल 90% उत्पादन करता है। 

4. लाल चंदन केवल भारत के दक्षिणी राज्यों में पाया जा सकता है।


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रोग से मुक्ति के लिए योग | वात्सार धौती |वात्सार धौती कैसे करें |Vaatsaar Dhauti

 रोग से मुक्ति के लिए योग  | वात्सार धौती



वात्सार धौती कैसे करें 


1.  किसी भी आसन में आराम से बैठ जाएँ |

2.  मुँह को कौए कि  चोंच के तरह करें | 

3.  धीरे - धीरे साँस  अंदर लें | 

4.  पेट फूलने तक सांस लेते रहें | 

5.  सांस को धीरे धीरे पेट में घुमाएं | 

6.  अब पेट की हवा को धीरे धीरे गुदा मार्ग से निकालें | 

 

वात्सार धौती के लाभ 


1.  वात्सार धौती से हर तरह के  रोग दूर होते हैं | 

2.  वात्सार धौती एक गुप्त योग है , यह  पाचन और शारीरिक शक्ति बढ़ाता है |  




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शिलाजीत क्या है और इसके क्या फायदे हैं | What is Shilajit and what are its benefits | Advantages and disadvantages of Shilajit


  

शिलाजीत क्या है और इसके क्या फायदे हैं | शिलाजीत के फायदे और नुक्सान 


शिलाजीत क्या है :-

आचार्य चर्क के अनुसार इस धरा पर कोई ऐसी बिमारी  नहीं जिसे शिलाजीत से जीता नहीं जा सकता | शिलाजीत गहरे भूरे रंग का चिपचिपा पदार्थ है ,जो कड़वा , कसैला और उष्ण होता है | शिलाजीत कि  गंध गौमुत्र कि  तरह होती है |  यह जल में घुल जाता है और अल्कोहल , कलोरोफॉर्म और ईथर में नहीं घुलता | यह मुख्यत: हिमालय और हिन्दुकुश पर्वतमाला में प्रापत होता है , यह पौधों के हज़ारों बर्ष के विघटन के कारण बनता है  |


शिलाजीत खाने के फायदे :-

1.  शिलाजीत दिमागी कमजोरी को दूर करती है | 

2.  शिलाजीत इम्युनिटी को बढ़ाने में काम आती है | 

3.  शिलाजीत मधुमेह को कम करने में सहायक है | 

4.  शिलाजीत दिल और रक्त सम्बंधित बीमारियों में काम आती है | 

5.  शिलाजीत शारीरिक कमजोरी दूर करती है | 

6.  शिलाजीत रक्त कि  कमी को दूर करती है | 


शिलाजीत खाने के नुक्सान :-

1.  शिलाजीत शरीर की गर्मी को बढ़ाती है | 

2.  शिलाजीत से पेशाब को बढ़ाती है | 

3.  शिलाजीत के ज्यादा प्रयोग से पैरों  और हाथों में जलन महसूस हो सकती है | 


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How to make Satvik Roti || Recipe to make Healthy Roti || सात्विक रोटी बनाने का तरीका

सात्विक रोटी बनाने का तरीका ||हैलदी रोटी बनाने कि रैसिपी


दोस्तो आज हम में से हर कोई किसी न किसी बिमारी से पीड़ित है ,क्या आप जानते हैं यह बिमारियाँ कहाँ से आईं और हम इन बिमारियों से बच क्यों नहीं पाते | दोस्तो यह बिमारियाँ हमारे खाने पीने कि आदतों का ही नतीजा हैं |आधुनिक्ता कि दौड़ में हम शरीर को भूल चुके हैं ,जीभ के स्वाद के लिए हम हर कुछ ठूूँसते चले जाते हैं ,पैकेट बंद खाना,पानी और दूध सब हमें बहुत भाता है |पिज्जा के चटकारे,बर्गर का स्वाद और फिंगर चिप्स ,ठंडे पेय के साथ हमें अच्छे लगते हैं |


दोस्तो अगर हम अपनी खाने कि आदत को बस बदल दें तो हर बिमारी से बचा जा सकता है ,यहाँ तक की किसी भी बिमारी को पलटा जा सकता है |


तो दोस्तो आज मैं आप को सात्विक रोटी बनाने का तरीका बताने जा रही हूँ ,यह स्वाद के साथ साथ ,सेहत से भी भरपूर   है |

सामग्री

1.     गेहूँ का आटा (छिलके सहित)

2.      जौ का आटा 

3.      निम्न में से कुछ भी 

         (a) पालक पयूरी 

          (b)टमाटर पयूरी

          (c) गाजर का जूस

          (d)  आलू पेस्ट

           (e)  नारियल का दूध

           (f)   बीन्स पेस्ट

           (g)   वह सभी सब्जियाँ जिन का            पेस्ट या जूस  निकला जा  सकता             हो |

प्रक्रिया :

ऊपर लिखी पयूरी या जूस का प्रयोग कर के आटा गूँथ लें ,थोड़ा सा काला नमक प्रयोग कर सकते हो |अब इस आटे कि रोटियाँ बना लें |घी या तेल का प्रयोग ना करें |


दोस्तो ऊपर लिखे तरीके से बनाई रोटियाँ स्वाद व सेहत से भरपूर हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती हैं |



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आज कल हमारा खान पान रहन सहन कुछ इस तरह का हो चुका है कि शरीर में कोई ना कोई बिमारी  अवश्यम्भावी है , आराम ,स्वाद और शारीरिक सुख के चक्कर में जीवन कम कर लिया है हम ने |



कितना  सही था जीवन,कितनी बड़ी थी आशाएँ ,

दिन रात बडे़ जीवन कि खातिर माँगी जाती थी दुआएँ |

वो दिन भी गए ,ना रहीं वो आशाएँ |

काम क्रोध लोभ कि खातिर भटके हम दिशाएँ |



अगर जीवन में कुछ नीयम व अनुशासन अपनाए जाएँ तो आदमी दीर्घकाल तक निरोगी जीवन जी सकता है , तो वह नियम इस तरह से हैं :-

1.     नियमित आसन,व्यायाम व प्राणायाम करें |

2.     भोजन के  1 घंटे बाद ही पानी 

पिएँ |

3.     भोजन में फल व कच्ची सब्जियाँ ज्यादा प्रयोग करें |

4.     बहुत ज्यादा मैथुन सै बचें |

5.      व्यायाम ,भोजन और मैथुन के अन्त में शक्कर या मधु मिश्रित  दूध का सेवन करें |






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 वानस्पतिक नाम

 पिस्तासिया इंटेगेरिमा जे एल स्टीवर्ट एक्स ब्रैंडिस 


सामान्य नाम

 ज़ेब्रावुड, काकरा, काकरी, कांगर, केकड़ा का पंजा , श्रृंगी, विसानी, करकट (संस्कृत)


 पहचान

1.यह एक पर्णपाती वृक्ष है।

2.पिस्ता इंटेगेरिमा 19 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। 3. पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की छाल काले रंग की और सुगंध वाली होती है। 

4.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की पत्तियाँ 12 सेमी तक लंबी हो सकती हैं। 

5.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ के फल गोलाकार होते हैं। 

6.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ की पत्तियों में गॉल होते हैं जो पेड़ पर कीड़ों द्वारा बनते हैं। 

7.कालांतर में गॉल खोखले, पतली दीवार वाले बेलनाकार आकार के हो जाते हैं। 

8.गॉलों का रंग बाहर से भूरा-भूरा और अंदर से मूली-भूरा होता है। 

9.गॉलों के अंदर कई मरे हुए कीड़े होते हैं। 

10.गॉलों का स्वाद थोड़ा कसैला और कड़वा होता है।


 उपयोग

1.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ का उपयोग दस्त, पेचिश, एनोरेक्सिया, खांसी, बुखार और अस्थमा के उपचार में किया जाता है।

2.मसूढ़ों को मजबूत बनाने के लिए पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ के गॉल अच्छे होते हैं। 

3.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ में घाव भरने के गुण होते हैं। 

4.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ का उपयोग तपेदिक को ठीक करने के लिए किया जा सकता है।


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हृदय मुद्रा कैसे लगाएँ 


1.   आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ |

2.    पीठ सीधी रखें |

3.    दोनों हाथों कि तर्जनी उँगलिओं को अँगूठों के मूल से लगाएँ |

4.     कनिष्ठा ऊँगलियाँ सीधी रखें |

5.     अनामिका और मध्यमा ऊँगलिओं के सिरों को अँगूठे के सिरों से मिलाएँ |


हृदय मुद्रा करने का समय


इस मुद्रा को दिन में दो बार,15 से 30 मिनट तक करें.


हृदय मुद्रा के लाभ


1.    हृदय मुद्रा हृदय को मजबूती प्रदान करती है |

2.     हृदय मुद्रा हृदय पर दबाब को कम करती है |

3.   हृदय कि धमनियों में रुकावट को दूर करती है |

4.  रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है |





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