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Yoga Poses To Get Rid Of Diseases | वारिसार द्यौति

 Yoga Poses To Get Rid Of Diseases | वारिसार द्यौति वारिसार द्यौति करने कि प्रक्रिया 1. उकड़ू होकर बैठें | 2. धीरे-धीरे पानी के तीन गिलास पी  जाएँ |  3. ताड़ायन,बज्रासन,भुजंगासन आदि तीन आयन करें | 4. शौच लगने पर निवृत होकर आएँ | 5. यह प्रकृिया तब तक दोहराएँ जब तक मलद्वार से पानी जैसे का तैसा ना निकलने लगे | वारिसार द्यौति करते समय सावधानियाँ 1. इसे साल में दो या तीन बार ही करें | 2. वारिसार द्यौति का अभ्यास करने से दो-तीन दिन पहले से हलका भोजन करना शुरू कर दें | 3. वारिसार द्यौति करने से पहले पेट को अच्छी तरह से साफ कर लें | 4. ढीले कपड़े पहनें | 5. गुनगुने जल का प्रयोग करें | 6. जल में नींबू और सेंधा नमक का प्रयोग भी कर सकते हैं | 7. किसी योगगुरू कि देखरेख में ही वारिसार द्यौति कि प्रकृिया को करें | 8. अभ्यास के बाद शरीर को पूर्ण विश्राम देना चाहिए 9. गर्भवती महिलाओं को   वारिसार द्यौति का अभ्यास नहीं करना चाहिए वरना गर्भपात हो सकता है |  10. वारिसार द्यौति का अभ्यास करने के बाद रसाहार या फलाहार का सेवन अगले 24 घंटे तक करना उचित रहता है| वारिसार द्यौति के फायदे   1. शरीर से विषैले पदा

रोग से मुक्ति के लिए योग | वात्सार धौती |वात्सार धौती कैसे करें |Vaatsaar Dhauti

  रोग से मुक्ति के लिए योग  | वात्सार धौती वात्सार धौती कैसे करें  1.  किसी भी आसन में आराम से बैठ जाएँ | 2.  मुँह को कौए कि  चोंच के तरह करें |  3.  धीरे - धीरे साँस  अंदर लें |  4.  पेट फूलने तक सांस लेते रहें |  5.  सांस को धीरे धीरे पेट में घुमाएं |  6.  अब पेट की हवा को धीरे धीरे गुदा मार्ग से निकालें |    वात्सार धौती के लाभ   1.   वात्सार धौती से हर तरह के  रोग दूर होते हैं |  2.   वात्सार धौती एक गुप्त योग है , यह  पाचन और शारीरिक शक्ति बढ़ाता है |   अन्य पढ़ें  सूर्यनमस्कार  बज्रासन  सुप्तवज्रासन  ज्ञान मुद्रा के बारे में पढें ह्रदय मुद्रा   

हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा || Hriday Rog ke Liye Upchaar

 हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा   || Hriday Rog ke Liye Upchaar हृदय मुद्रा कैसे लगाएँ   1.   आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ | 2.    पीठ सीधी रखें | 3.    दोनों हाथों कि तर्जनी उँगलिओं को अँगूठों के मूल से लगाएँ | 4.     कनिष्ठा ऊँगलियाँ सीधी रखें | 5.     अनामिका और मध्यमा ऊँगलिओं के सिरों को अँगूठे के सिरों से मिलाएँ | हृदय मुद्रा करने का समय इस मुद्रा को दिन में दो बार,15 से 30 मिनट तक करें. हृदय मुद्रा के लाभ 1.    हृदय मुद्रा हृदय को मजबूती प्रदान करती है | 2.     हृदय मुद्रा हृदय पर दबाब को कम करती है | 3.   हृदय कि धमनियों में रुकावट को दूर करती है | 4.  रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है | अन्य पढ़ें  सूर्यनमस्कार  बज्रासन  सुप्तवज्रासन  ज्ञान मुद्रा के बारे में पढें  

योग का अर्थ || Yoga Kya Hai || ज्ञान मुद्रा

  योग का अर्थ || Yoga Kya Hai || ज्ञान मुद्रा  योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: !!  चित कि वृत्तियों  को रोक लेना ही योग है !चित का मतलब है मन ! मन ही इच्छाओं का केंद्र है ! जब मन को अपने बस में कर लिया तो सब कुछ संभव  हो गया ! अपनी इच्छाओं को  वस में कर लेना ही योग है ! ठहरे हुए पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है पर अगर पानी में तरंगे उठती रहें तो प्रतिबिम्ब देखना मुश्किल होगा ! अपने आप को जान लेना ही योग है और   तभी  संभव होगा जब में  ठहराव होगा होगा ! आज की यह मुद्रा   ज्ञान मुद्रा  हाथों कि मुद्राओं से कई तरह की बीमारियों का इलाज  किया जा सकता है ! याद रखें  की जब कोइ भी मुद्रा  आप कर रहे हों उस में उपयोग में ना होने बाली उंगलियों को सीधा रखें  ! विधी        इस मुद्रा में अपने अंगूठे के अग्रभाग को अपनी तर्जनी उंगली के अग्रभाग से मिलाकर रखें  ! शेष तीनो उंगलियों को सीधा रखें ! हाथों  को अपने घुटनों  पर रखें  और साथ में अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें ! महत्त्व       अंगूठा  अग्नि तत्व का और तर्जनी उंगली वायु  तत्व का प्रतीक है !  ज्योतिष के अनुसार अंगूठा मंगल ग्रह  और तर्जनी उंगली

एक महीने में मोटापा घटायें || Loose Fat in a Month || Loose Fat Fast

  एक महीने में मोटापा घटायें || Loose Fat in a Month || Loose Fat Fast तीव्रसंवेगानामासन्न: ऊपर लिखे सूत्र का मतलब है की जिसकी जितनी श्रद्धा हो उतनी ही जल्दी वह लाभ प्राप्त करता है !मतलब जो नित्य नियमित रूप से योग साधना पूरी श्रद्धा के साथ करता है उसे ही लाभ मिलता है !  दोस्तों हम बहुत से लोगों  को सुनते हैं की हम ने बहुत कुछ किया पर लाभ नहीं मिला वे सब गलत हैं , हाथ ना आये थु कौड़ी वाली कहावत उन के लिए ही बनी है !  करना कुछ नहीं है और दूसरों  को भी करने नहीं देना है ! दोस्तों अगर आप दिल से  योग   करेंगे तो लाभ जरूर होगा !  आज हम बात करेंगे मोटापे के लिए योग के बारे में ,तो जो योगासन आप को करने हैं  वे निम्न हैं  : (क)      बज्रासन  :   घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। इस दौरान दोनों पैरों के अंगुठों को साथ में मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें। अब अपने नितंबों को एड़ियों पर टिकाएं। अब हथेलियां को घुटनों पर रख दें।  इस दौरान अपनी पीठ और सिर को सीधा रखें। दोनों घुटनों को आपस में मिलाकर रखें। अब आंखें बंद कर लें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस अवस्था में आप पांच से 10 मिनट तक बैठने की कोशि

Suptvajrasana Steps benefits and precautions || सुप्तवज्रासन तरीका लाभ और सावधानियाँ

Suptvajrasana Steps benefits and precautions || सुप्तवज्रासन तरीका लाभ और सावधानियाँ Photo by  Elly Fairytale  from  Pexels सुप्तवज्रासन के बारे में हिन्दी में पढ़ें सुप्तवज्रासन  का अर्थ | सुप्तवज्रासन का अन्य नाम  सूप्त का अर्थ है सोना या बिछाना   वज्र का अर्थ है वज्र (भगवान इंद्र का हथियार)   आसन का अर्थ है बैठने का तरीका तो  सुप्तवज्रासन का मतलब एक आसन है जो वज्र के समान होता है और लेटने की स्थिति में किया जाता है।सुप्तवज्रासन का दूसरा नाम द थंडरबोल्ट आसन, रेकलाइन थंडरबोल्ट आसन और स्लीपिंग थंडरबोल्ट आसन है  Suptvajrasana / Suptvajrasana के साइड इफेक्ट्स करते समय बरती जाने वाली सावधानियां    सुप्तवज्रासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां इस प्रकार हैं: -  1. पीठ के निचले हिस्से में दर्द वाले लोगों को  सुप्तवज्रासन करने से बचना चाहिए।  2. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस और ऑस्टियो एस्ट्राइटिस से पीडि़त लोगों को सुप्तवज्रासन करने से बचना चाहिए।  3. डिस्क की समस्या से ग्रस्त लोगों को सुप्तवज्रासन करने से बचना चाहिए।  4. गर्भवती महिलाओं को सुप्तवज्रासन नहीं करना चाहिए। 5.सुप्तवज्रासन भोजन के

Surya Namaskaar and its benefits || सूर्य नमस्कार और इसके फायदे

 Surya Namaskaar and its benefits ||  सूर्य नमस्कार और इसके फायदे Photo by  Elly Fairytale  from  Pexels सूर्य नमस्कार और इसके फायदे | सूर्य नमस्कार की उत्पत्ति  सूर्य नमस्कार  का अर्थ   सूर्य का अर्थ है भगवान सूर्य  नमस्कार प्रणाम या प्रशंसा के लिए उपयोग किया गया है, तो सूर्य नमस्कार का अर्थ संयुक्त रूप से भगवान सूर्य की स्तुति या भगवान सूर्य को नमस्कार है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में सूर्य को भगवान कहा जाता है और वे सुबह-सुबह भगवान सूर्य को जल और फूल अर्पित करना पसंद करते हैं। यह संस्कार सदियों से हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य नमस्कार  का आविष्कार औंध के राजा (अब महाभारत का एक हिस्सा) ने किया था | Asanas and Mantras in Sun Salutation Surya namaskaar is a sequence of 8 asanas woven into sequence of 12 steps.The  Asanas are as under :- 1.Tadasana with Anjali Mudra 2. Urdhva Hastasana 3. Utthanasana 4. Anjaneyasana 5. Kumbhakasana 6. Chaturanga Dandasana 7. Urdva Mukha Swanasana 8. Adho Mukha Swanasana Last four are same as first four but practiced from other hand

Benefits of Vajrasana|| बज्रासन के लाभ

Benefits of Vajrasana|| बज्रासन के लाभ Photo by cottonbro from Pexels बज्रासन के लाभ 1. पाचन में वृद्धि। 2. भूख की वृद्धि। 3. रक्त वाहिका में सुधार। 4. पेट के नीचे के कुछ हिस्सों के रोगों में सुधार। 5. जोड़ों के लचीलेपन में वृद्धि। 6. मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि। अन्य पढ़ें  सूर्यनमस्कार  सुप्तवज्रासन