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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Herbal Remedies || दीर्घकाल तक जीवित रहने के उपाय || Deerghkaal Tak Jeevit Rahne ke Upaay

  Herbal Remedies ||  दीर्घकाल तक जीवित रहने के उपाय || Deerghkaal Tak Jeevit Rahne ke Upaay आज कल हमारा खान पान रहन सहन कुछ इस तरह का हो चुका है कि शरीर में कोई ना कोई बिमारी  अवश्यम्भावी है , आराम ,स्वाद और शारीरिक सुख के चक्कर में जीवन कम कर लिया है  हम ने | कितना  सही था जीवन,कितनी बड़ी थी आशाएँ , दिन रात बडे़ जीवन कि खातिर माँगी जाती थी दुआएँ | वो दिन भी गए ,ना रहीं वो आशाएँ | काम क्रोध लोभ कि खातिर भटके हम दिशाएँ | अगर जीवन में कुछ नीयम व अनुशासन अपनाए जाएँ तो आदमी दीर्घकाल तक निरोगी जीवन जी सकता है , तो वह नियम इस तरह से हैं :- 1.     नियमित आसन,व्यायाम व प्राणायाम करें | 2.     भोजन के  1 घंटे बाद ही पानी  पिएँ | 3.     भोजन में फल व कच्ची सब्जियाँ ज्यादा प्रयोग करें | 4.     बहुत ज्यादा मैथुन सै बचें | 5.      व्यायाम ,भोजन और मैथुन के अन्त में शक्कर या मधु मिश्रित  दूध का सेवन करें |

Kakadsingi || Herbal Remedy for cough,Asthma and fever || काकड़सिंगी कि पहचान

  Kakadsingi || Herbal Remedy for cough,Asthma and fever ||  काकड़सिंगी कि पहचान  काकड़सिंगी || खांसी, दमा और बुखार के लिए हर्बल उपचार   वानस्पतिक नाम  पिस्तासिया इंटेगेरिमा जे एल स्टीवर्ट एक्स ब्रैंडिस  सामान्य नाम  ज़ेब्रावुड, काकरा, काकरी, कांगर, केकड़ा का पंजा , श्रृंगी, विसानी, करकट (संस्कृत)   पहचान 1. यह एक पर्णपाती वृक्ष है। 2.पिस्ता इंटेगेरिमा 19 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। 3. पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की छाल काले रंग की और सुगंध वाली होती है।  4.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की पत्तियाँ 12 सेमी तक लंबी हो सकती हैं।  5.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ के फल गोलाकार होते हैं।  6.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ की पत्तियों में गॉल होते हैं जो पेड़ पर कीड़ों द्वारा बनते हैं।  7.कालांतर में गॉल खोखले, पतली दीवार वाले बेलनाकार आकार के हो जाते हैं।  8.गॉलों का रंग बाहर से भूरा-भूरा और अंदर से मूली-भूरा होता है।  9.गॉलों के अंदर कई मरे हुए कीड़े होते हैं।  10.गॉलों का स्वाद थोड़ा कसैला और कड़वा होता है।   उपयोग 1.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ का उपयोग दस्त, पेचिश, एनोरेक्सिया, खांसी, बुखार और अस्थमा के उपचार

हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा || Hriday Rog ke Liye Upchaar

 हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा   || Hriday Rog ke Liye Upchaar हृदय मुद्रा कैसे लगाएँ   1.   आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ | 2.    पीठ सीधी रखें | 3.    दोनों हाथों कि तर्जनी उँगलिओं को अँगूठों के मूल से लगाएँ | 4.     कनिष्ठा ऊँगलियाँ सीधी रखें | 5.     अनामिका और मध्यमा ऊँगलिओं के सिरों को अँगूठे के सिरों से मिलाएँ | हृदय मुद्रा करने का समय इस मुद्रा को दिन में दो बार,15 से 30 मिनट तक करें. हृदय मुद्रा के लाभ 1.    हृदय मुद्रा हृदय को मजबूती प्रदान करती है | 2.     हृदय मुद्रा हृदय पर दबाब को कम करती है | 3.   हृदय कि धमनियों में रुकावट को दूर करती है | 4.  रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है | अन्य पढ़ें  सूर्यनमस्कार  बज्रासन  सुप्तवज्रासन  ज्ञान मुद्रा के बारे में पढें  

WALNUT TREE || WALNUT FRUIT || अखरोट कि पहचान

  WALNUT TREE || WALNUT FRUIT || अखरोट  कि पहचान