योग का अर्थ || Yoga Kya Hai || ज्ञान मुद्रा योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: !! चित कि वृत्तियों को रोक लेना ही योग है !चित का मतलब है मन ! मन ही इच्छाओं का केंद्र है ! जब मन को अपने बस में कर लिया तो सब कुछ संभव हो गया ! अपनी इच्छाओं को वस में कर लेना ही योग है ! ठहरे हुए पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है पर अगर पानी में तरंगे उठती रहें तो प्रतिबिम्ब देखना मुश्किल होगा ! अपने आप को जान लेना ही योग है और तभी संभव होगा जब में ठहराव होगा होगा ! आज की यह मुद्रा ज्ञान मुद्रा हाथों कि मुद्राओं से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है ! याद रखें की जब कोइ भी मुद्रा आप कर रहे हों उस में उपयोग में ना होने बाली उंगलियों को सीधा रखें ! विधी इस मुद्रा में अपने अंगूठे के अग्रभाग को अपनी तर्जनी उंगली के अग्रभाग से मिलाकर रखें ! शेष तीनो उंगलियों को सीधा रखें ! हाथों को अपने घुटनों पर रखें और साथ में अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें ! महत्त्व अंगूठा अग्नि तत्व का और तर्जनी उंगली वायु तत्व का प्रतीक है ! ज्योतिष के अनुसार अंगूठा मंगल ग्रह और तर्जनी उंगली
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