cure for all disease || मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् || Mritasanjeevani Stotram Photo by Sandeep Singh from Pexels मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् एवमारध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमेश्वरं ।मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा ॥1॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में पहला श्लोक गौरी पति,मृत्यु को जीतने वाले भगवान शंकर कि अराधना कर के, मृतसंजीवनी नाम के कवच का नित्य पाठ करना चाहिए॥1॥ सारात् सारतरं पुण्यं गुह्याद्गुह्यतरं शुभं । महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकं ॥ 2॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में दूसरा श्लोक महादेव शंकर जी का मृतसञ्जीवन नाम का कवच सार का भी सार,पुण्य देने वाला ,गुप्त से भी गुप्त और शुभ फल प्रदान करने वाला है ॥2॥ समाहितमना भूत्वा शृणुष्व कवचं शुभं । शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा ॥3॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में तीसरा श्लोक इस शुभ कवच को एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए | इस दिव्य कवच को सुनने मात्र से रहस्य उजागर होते हैं ॥3॥ वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवितः । मृत्युञ्जयो महादेवः प्राच्यां मां पातु सर्वदा ॥4॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में चौथा श्लोक जो अभय दान देने वाले हैं,सभी देवताओं द
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