10 प्रकार कि बिमारियाँ ठीक कर सकता है यह पौधा || Ratanjot Ke Fayade || Ratanjot Ke Labh

 10 प्रकार कि बिमारियाँ ठीक कर सकता है यह पौधा || Ratanjot Ke Fayade || Ratanjot Ke Labh



रत्नजोत | ratanjot


स्थानीय नाम 


रत्नजोत ,बैम्वलम्बपटै (तमिल ), अल्कानेट (अंग्रेजी )


वानस्पतिक नाम  


अलकन्ना तिनकोरिया 


रत्नजोत कि पहचान 



1.     ऱत्नजोत में तुरही के आकार के नीले या बैंगनी फूल लगते हैं |

2.     यह पौधा 0.3 से 0.6 मीटर तक लम्बा हो सकता है |

3.     पौधे के पत्तों पर छिटपुट सफेद बाल होते हैं |

4.     इस पौधे में जून से जुलाई तक फूल लगते हैं |

5.     रत्नजोत कि जड़ से लाल रंग का पदार्थ निकलता है जो दवाईयों से लेकर ,अन्य कई कामों में लिया जाता है |


प्रयोग


1.     रत्नजोत को खाने व पीने कि चीजों को रंग देने के काम लिया जाता है |

2.     दवाईयों ,तेलों और शराब में रत्नजोत को काम में लिया जाता है |

3.     कपड़े रंगने में भी रत्नजोत काम आती है |

4.     सफेद बाल,चमड़ी ,हृदय तथा पत्थरी रोग में भी रत्नजोत को काम में लिया जाता है |

5.     रत्नजोत हड्डियों और मासपेशियों को मजबूती देती है |




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नेत्र रोग नाशक मंत्र || MANTRA TO CURE EYE DISEASE || अक्ष्युपनिषद्

नेत्र रोग नाशक मंत्र || MANTRA TO CURE EYE DISEASE

अक्ष्युपनिषद्

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ऊँ नमो भगवते श्री सूर्यायाक्षितेजसे नमः | ऊँ स्वेचराय नमः | ऊँ महासेनाय नमः |ऊँ तमसे नमः |ऊँ रजसे नमः | ऊँ सत्वाय नमः |ऊँ असतो मा सद गमय | तमसो मा ज्योतिर्गमय | मृत्योर्माsमृतम् गमय | हंसो भगवाञ्छुचिरूपः अप्रतिरूपः |विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्यमयं ज्योतीरूपं तपतम् | सहस्ररश्मिः शतद्या वर्तमानः पुरः प्रजानामुदयत्पेण सूर्यः |ऊँ नमो भगवते श्री सूर्यायादित्यायादितेजसेsहोsवाहिनि वाहिनि स्वाहेति |


हिन्दी में अनुवाद

नेत्र रोग नाशक मंत्र
अक्ष्युपनिषद्

चक्षुओं कि ज्योति (आँखों को तेज देने वाले ) भगवान सूर्य को नमस्कार है |अपनी इच्छा से भ्रमण करने वाले भगवान सूर्य को नमस्कार है |महान सेना के अधिपति भगवान सूर्य को नमस्कार है |तमोगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है| रजोगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है |सत्वगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है |हे सूर्य नारायण आप मुझे असत्य से सत्य कि ओर ले चलिए |अंधकार से प्रकाश कि ओर ले चलिए |मृत्यु से अमृत कि ओर ले चलिए |हे भगवान सूर्य आप शुचिरूप(मनमोहक) हैं,आप अप्रतिरूप (अतुलनीय) हैं|असंख्य रश्मियों वाले, सर्वग्य,स्वर्ण के समान और ज्योतिरूप में प्रदिप्त रहने वाले हैं |ये सूर्य भगवान हजारों किरणों से सुशोभित,हजारों रूपों में सभी के समक्ष उदित हो रहे हैं |नेत्रों के प्रकाश आदित्यनंदन भगवान सूर्यनारायण को नमस्कार है |दिन का भार वहन करने वाले विश्व वाहक सूर्यनारायण पर मेरा सब कुछ न्योछावर है |


यह अक्ष्युपनिषद् भविष्य पुराण से लिया गया है तथा इसके द्वारा भगवान साड्.गकृति जी ने सूर्यनारायण जी कि स्तुति कि है|जो भी प्राणि इस अक्ष्युपनिषद् का रोज पाठ करता है उसे नेत्र रोग नहीं हो सकता और उस के कुल में कोई अन्धा नहीं होता |आठ ब्राह्मणों को इस का ग्रहण करवा देने पर इस विद्या कि सिद्धि होती है |