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महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी व English में अर्थ | बीमारियाँ दूर कर आपकी उम्र बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र | Mahamrityunjaya Mantra

  महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी व English में अर्थ | बीमारियाँ दूर कर आपकी उम्र बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी में अर्थ   मैं उन भगवान शिव कि पूजा करता हूँ ,जो तीन नेत्रों बाले हैं,जो हमारे जीवन को खुशियों से सुगंधित करने बाले और हमें पुष्टि देने बालेे हैं | भगवान शिव से हमारी प्रार्थना है कि ,जिस प्रकार कक्कड़ी पक कर ही अपनी बेल से अलग होती है उसी प्रकार हम भी संसार रूपी बेल से असमय अलग ना होकर पूरा जीवन जीयें तथा अंत में मोक्ष को प्राप्त हों | अन्य पढ़ें मृतसञ्जीवंस्तोत्रम  अक्ष्युपनिषद  Shivapanchakshar Stotra | शिवपंचाक्षर स्तोत्र

शिवपंचाक्षरस्तोत्रम् || Cure For All Diseases

  शिवपंचाक्षरस्तोत्रम्  || Cure For All Diseases नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय || सर्पों कि माला धारण करने बाले,        तीन नेत्रों बाले, शरीर पर भस्म रमाने बाले महेश्वर | नित्य शुद्ध दिशाओं के वस्त्र धारण करने बाले, न कार स्वरूप शिव को नमस्कार है || मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय || गंगा जी को धारण करने बाले,         चंदन से अलंकृत, नंन्दी जी के पूजित,प्रमथनाथ महेश्वर |मंदार जैसे कई फूलों से पूजित म स्वरूप शिव को नमस्कार है | शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदाय सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवाय || जो सूरज के समान हैं और माँ गौरी जी के मुख कमल को खुशी प्रदान करने बाले हैं,राजा दक्ष के घमन्ड को दूर करने बाले,कण्ठ में बिष धारण करने बाले,जिन का प्रतीक के रूप में बैल है, शि स्वरूप भगवान शिव को नमस्कार है |   वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चित शेखराय । चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नमः शिवाय || वशिष्ठ

cure for all disease || मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् || Mritasanjeevani Stotram

cure for all disease || मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् || Mritasanjeevani Stotram Photo by  Sandeep Singh  from  Pexels मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् एवमारध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमेश्वरं ।मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा  ॥1॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में पहला श्लोक गौरी पति,मृत्यु को जीतने वाले  भगवान शंकर कि अराधना कर के, मृतसंजीवनी नाम के कवच का नित्य पाठ करना चाहिए॥1॥ सारात् सारतरं पुण्यं गुह्याद्गुह्यतरं शुभं । महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकं ॥ 2॥  मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में  दूसरा श्लोक महादेव शंकर जी का मृतसञ्जीवन नाम का कवच सार का भी सार,पुण्य देने वाला ,गुप्त से भी गुप्त और शुभ फल प्रदान करने वाला है ॥2॥ समाहितमना भूत्वा शृणुष्व कवचं शुभं । शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा ॥3॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में तीसरा श्लोक इस शुभ कवच को एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए | इस दिव्य कवच को सुनने मात्र से रहस्य उजागर होते हैं ॥3॥ वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवितः । मृत्युञ्जयो महादेवः प्राच्यां मां पातु सर्वदा ॥4॥ मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् हिन्दी में चौथा श्लोक जो अभय दान देने वाले हैं,सभी देवताओं द

नेत्र रोग नाशक मंत्र || MANTRA TO CURE EYE DISEASE || अक्ष्युपनिषद्

नेत्र रोग नाशक मंत्र || MANTRA TO CURE EYE DISEASE अक्ष्युपनिषद् www.thefoodieways.com ऊँ नमो भगवते श्री सूर्यायाक्षितेजसे नमः | ऊँ स्वेचराय नमः | ऊँ महासेनाय नमः |ऊँ तमसे नमः |ऊँ रजसे नमः | ऊँ सत्वाय नमः |ऊँ असतो मा सद गमय | तमसो मा ज्योतिर्गमय | मृत्योर्माsमृतम् गमय | हंसो भगवाञ्छुचिरूपः अप्रतिरूपः |विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्यमयं ज्योतीरूपं तपतम् | सहस्ररश्मिः शतद्या वर्तमानः पुरः प्रजानामुदयत्पेण सूर्यः |ऊँ नमो भगवते श्री सूर्यायादित्यायादितेजसेsहोsवाहिनि वाहिनि स्वाहेति | हिन्दी में अनुवाद नेत्र रोग नाशक मंत्र अक्ष्युपनिषद् चक्षुओं कि ज्योति (आँखों को तेज देने वाले ) भगवान सूर्य को नमस्कार है |अपनी इच्छा से भ्रमण करने वाले भगवान सूर्य को नमस्कार है |महान सेना के अधिपति भगवान सूर्य को नमस्कार है |तमोगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है| रजोगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है |सत्वगुण रूप में भगवान सूर्य को नमस्कार है |हे सूर्य नारायण आप मुझे असत्य से सत्य कि ओर ले चलिए |अंधकार से प्रकाश कि ओर ले चलिए |मृत्यु से अमृत कि ओर ले चलिए |हे भगवान सूर्य आप शुचिरूप(मनमोहक) हैं,आप अप्