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Herbal Remedies || दीर्घकाल तक जीवित रहने के उपाय || Deerghkaal Tak Jeevit Rahne ke Upaay

  Herbal Remedies ||  दीर्घकाल तक जीवित रहने के उपाय || Deerghkaal Tak Jeevit Rahne ke Upaay आज कल हमारा खान पान रहन सहन कुछ इस तरह का हो चुका है कि शरीर में कोई ना कोई बिमारी  अवश्यम्भावी है , आराम ,स्वाद और शारीरिक सुख के चक्कर में जीवन कम कर लिया है  हम ने | कितना  सही था जीवन,कितनी बड़ी थी आशाएँ , दिन रात बडे़ जीवन कि खातिर माँगी जाती थी दुआएँ | वो दिन भी गए ,ना रहीं वो आशाएँ | काम क्रोध लोभ कि खातिर भटके हम दिशाएँ | अगर जीवन में कुछ नीयम व अनुशासन अपनाए जाएँ तो आदमी दीर्घकाल तक निरोगी जीवन जी सकता है , तो वह नियम इस तरह से हैं :- 1.     नियमित आसन,व्यायाम व प्राणायाम करें | 2.     भोजन के  1 घंटे बाद ही पानी  पिएँ | 3.     भोजन में फल व कच्ची सब्जियाँ ज्यादा प्रयोग करें | 4.     बहुत ज्यादा मैथुन सै बचें | 5.      व्यायाम ,भोजन और मैथुन के अन्त में शक्कर या मधु मिश्रित  दूध का सेवन करें |

Kakadsingi || Herbal Remedy for cough,Asthma and fever || काकड़सिंगी कि पहचान

  Kakadsingi || Herbal Remedy for cough,Asthma and fever ||  काकड़सिंगी कि पहचान  काकड़सिंगी || खांसी, दमा और बुखार के लिए हर्बल उपचार   वानस्पतिक नाम  पिस्तासिया इंटेगेरिमा जे एल स्टीवर्ट एक्स ब्रैंडिस  सामान्य नाम  ज़ेब्रावुड, काकरा, काकरी, कांगर, केकड़ा का पंजा , श्रृंगी, विसानी, करकट (संस्कृत)   पहचान 1. यह एक पर्णपाती वृक्ष है। 2.पिस्ता इंटेगेरिमा 19 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। 3. पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की छाल काले रंग की और सुगंध वाली होती है।  4.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ की पत्तियाँ 12 सेमी तक लंबी हो सकती हैं।  5.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ के फल गोलाकार होते हैं।  6.पिस्ता इंटेगेरिमा पेड़ की पत्तियों में गॉल होते हैं जो पेड़ पर कीड़ों द्वारा बनते हैं।  7.कालांतर में गॉल खोखले, पतली दीवार वाले बेलनाकार आकार के हो जाते हैं।  8.गॉलों का रंग बाहर से भूरा-भूरा और अंदर से मूली-भूरा होता है।  9.गॉलों के अंदर कई मरे हुए कीड़े होते हैं।  10.गॉलों का स्वाद थोड़ा कसैला और कड़वा होता है।   उपयोग 1.पिस्ता इंटेगेरिमा के पेड़ का उपयोग दस्त, पेचिश, एनोरेक्सिया, खांसी, बुखार और अस्थमा के उपचार

हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा || Hriday Rog ke Liye Upchaar

 हृदय रोगियों के लिए योग मूद्रा || हृदय मुद्रा   || Hriday Rog ke Liye Upchaar हृदय मुद्रा कैसे लगाएँ   1.   आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ | 2.    पीठ सीधी रखें | 3.    दोनों हाथों कि तर्जनी उँगलिओं को अँगूठों के मूल से लगाएँ | 4.     कनिष्ठा ऊँगलियाँ सीधी रखें | 5.     अनामिका और मध्यमा ऊँगलिओं के सिरों को अँगूठे के सिरों से मिलाएँ | हृदय मुद्रा करने का समय इस मुद्रा को दिन में दो बार,15 से 30 मिनट तक करें. हृदय मुद्रा के लाभ 1.    हृदय मुद्रा हृदय को मजबूती प्रदान करती है | 2.     हृदय मुद्रा हृदय पर दबाब को कम करती है | 3.   हृदय कि धमनियों में रुकावट को दूर करती है | 4.  रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है | अन्य पढ़ें  सूर्यनमस्कार  बज्रासन  सुप्तवज्रासन  ज्ञान मुद्रा के बारे में पढें  

WALNUT TREE || WALNUT FRUIT || अखरोट कि पहचान

  WALNUT TREE || WALNUT FRUIT || अखरोट  कि पहचान 

योग का अर्थ || Yoga Kya Hai || ज्ञान मुद्रा

  योग का अर्थ || Yoga Kya Hai || ज्ञान मुद्रा  योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: !!  चित कि वृत्तियों  को रोक लेना ही योग है !चित का मतलब है मन ! मन ही इच्छाओं का केंद्र है ! जब मन को अपने बस में कर लिया तो सब कुछ संभव  हो गया ! अपनी इच्छाओं को  वस में कर लेना ही योग है ! ठहरे हुए पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है पर अगर पानी में तरंगे उठती रहें तो प्रतिबिम्ब देखना मुश्किल होगा ! अपने आप को जान लेना ही योग है और   तभी  संभव होगा जब में  ठहराव होगा होगा ! आज की यह मुद्रा   ज्ञान मुद्रा  हाथों कि मुद्राओं से कई तरह की बीमारियों का इलाज  किया जा सकता है ! याद रखें  की जब कोइ भी मुद्रा  आप कर रहे हों उस में उपयोग में ना होने बाली उंगलियों को सीधा रखें  ! विधी        इस मुद्रा में अपने अंगूठे के अग्रभाग को अपनी तर्जनी उंगली के अग्रभाग से मिलाकर रखें  ! शेष तीनो उंगलियों को सीधा रखें ! हाथों  को अपने घुटनों  पर रखें  और साथ में अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें ! महत्त्व       अंगूठा  अग्नि तत्व का और तर्जनी उंगली वायु  तत्व का प्रतीक है !  ज्योतिष के अनुसार अंगूठा मंगल ग्रह  और तर्जनी उंगली

एक महीने में मोटापा घटायें || Loose Fat in a Month || Loose Fat Fast

  एक महीने में मोटापा घटायें || Loose Fat in a Month || Loose Fat Fast तीव्रसंवेगानामासन्न: ऊपर लिखे सूत्र का मतलब है की जिसकी जितनी श्रद्धा हो उतनी ही जल्दी वह लाभ प्राप्त करता है !मतलब जो नित्य नियमित रूप से योग साधना पूरी श्रद्धा के साथ करता है उसे ही लाभ मिलता है !  दोस्तों हम बहुत से लोगों  को सुनते हैं की हम ने बहुत कुछ किया पर लाभ नहीं मिला वे सब गलत हैं , हाथ ना आये थु कौड़ी वाली कहावत उन के लिए ही बनी है !  करना कुछ नहीं है और दूसरों  को भी करने नहीं देना है ! दोस्तों अगर आप दिल से  योग   करेंगे तो लाभ जरूर होगा !  आज हम बात करेंगे मोटापे के लिए योग के बारे में ,तो जो योगासन आप को करने हैं  वे निम्न हैं  : (क)      बज्रासन  :   घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। इस दौरान दोनों पैरों के अंगुठों को साथ में मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें। अब अपने नितंबों को एड़ियों पर टिकाएं। अब हथेलियां को घुटनों पर रख दें।  इस दौरान अपनी पीठ और सिर को सीधा रखें। दोनों घुटनों को आपस में मिलाकर रखें। अब आंखें बंद कर लें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस अवस्था में आप पांच से 10 मिनट तक बैठने की कोशि

एक महीने में मोटापा घटाएँ || LOOSE FAT IN A MONTH || How To Loose Fat Fast

एक महीने में मोटापा घटाएँ || LOOSE FAT IN A MONTH || How To Loose Fat Fast Photo by  Pixabay  from  Pexels प्रशाम्यत्यौषधै: पूर्वो दैवयुक्तिव्यपाश्रयै: ! चरक संहिता के अनुसार शारीरिक दोष देव व्यपाश्रय और युक्ति  व्यपाश्रय औषधियों से शांत हो जाते हैं ! देव व्यपाश्रय  : मणि ,मन्त्र,औषधि ,बलि ,उपहार ,होम ,नियम,प्रायश्चित आदि कर्म जो की देवताओं  के लिए किये जाते हैं ! युक्ति  व्यपाश्रय   : योजना ,युक्ति को आश्रय कर किये गए संशोधन,संशमन और कर्म ! ऊपर लिखे श्लोक का अर्थ है शरीर में किसी भी रोग के होने पर उसे शान्त  करने के कई उपाय हैं  !जैसे की मन्त्र,तन्त्र ,उपहार ,योग,औषधि और होम आदि ! Photo by  Valeria Boltneva  from  Pexels दोस्तों आज हम बात करेंगे उस रोग के बारे में जो कई रोगों  का कारण है , वह रोग जो वर्तमान समय में विकराल रूप ले चूका है !आज हमारा खाना पीना ,रहन सहन  कुछ ऐसा  हो चुका  है कि  रोग तो हमारे साथी हो चुके हैं  हम रोजमर्रा के जीवन में रोगों  के कारण सुनते रहते हैं  और हमें पता है की ये कारण वे सब कारण हैं  जिन्हे टाला  भी जा सकता है ! जरूरत नहीं Fast Food खाने की ,जरूरत नहीं